शोभित जैन
अपने दिल की धड़कन को परखने भी नहीं देते,
धड़का देते हैं दिल, और फिर धडकने भी नहीं देते !!
शोभित जैन
उम्मीदों के बादल को वो कुछ यूँ हटा देते हैं  । 
लिखते हैं, और लिखते लिखते मिटा देते हैं ॥ 
शोभित जैन
दिल के एक कोने में  इतना अन्धकार रहा  था  ।।
कि, उम्मीद के रोशनदान को भी ये नकार रहा  था  ।।
शोभित जैन
मुझे पिज्जा नहीं भाता मैंने ज्वार चखा है ,
माटी की खुशबू को जेहन में संभाल रखा है |
इंसान हूँ इंसान को इंसान समझता हूँ,
इसीलिए तो तखल्लुस अपना
"गँवार" रखा है ||
शोभित जैन
तारीखों के बदलने का क्या जश्न मनाएं,
कभी हालात बदलेंगे को सोचा जायेगा !!


शोभित जैन
खुशियों की उम्मीद तो पहले ही दफ़न हो गयी,
अब तो ये दर्द है कि कोई दर्द नहीं होता !!
शोभित जैन
तमन्ना--ख़ुशी है मगर तन्हाई बहुत है ,
हम-कदम बनना चाहते हो मगर खाई बहुत है !!
ख़ुशी के एक पल से भी अब डर सा लगता है,
जानता जो हूँ, कि कीमत दुखदायी बहुत है !!