शोभित जैन
ये है ब्लॉगजगत और हम सब ब्लॉगर.....पर ये है क्या और क्यूँ हम अपना समय यहाँ लगाते हैं....क्या ये एक ज़िम्मेदारी है ? या एक सुविधा ? या एक हथियार कुछ भी करने के लिए, कुछ भी कहने के लिए.......इसी उधेड़बुन में बहुत समय खपा दिया.....पर जब मंथन हुआ है तो गरल या अमृत कुछ तो निकलना ही था तो कुछ निकला...और जो निकला वो आपके सामने रख रहा हूँ....पता नहीं ये क्या है...पर जो भी है आपके सामने है..पढिये और हो सके तो मुझे भी बताइए....
जहाँ तक मेरा विचार है तो मुझे लगता है की हम लोग इस ब्लॉगजगत में भी ज़िन्दगी को कुछ अलग तरह से जी सकते हैं...कुछ इस तरह.....

चलो ज़िन्दगी को लफ्जों में सजाएं...
सुख को जोडें, दुःख घटाएं....

शब्दों को तपाकर मलहम कर दें, फिर

किसी के आँसू चुराएँ , किसी के दर्द सहलाएं...
चलो ज़िन्दगी को...


सच को कहना हुनर ही नहीं जिगर भी है,

आओ आइना बनें , समाज को शक्ल दिखाएं...
चलो ज़िन्दगी को...


ये सफर ख़त्म नहीं होगा, किसी मंजिल के बाद
कभी रास्तों की नियामत निहारें, थोड़ा सुस्तायें...
चलो ज़िन्दगी को...

हम क़द्र करते हैं तुम्हारे हुनर की,
छोटी सी टिपण्णी से उसे भी बताएं...
चलो
ज़िन्दगी को...

चलो ज़िन्दगी को लफ्जों में सजाएं...
सुख को जोडें, दुःख घटाएं....
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