शोभित जैन
सब लोगों को नए साल की राम राम .... अब साल नया है तो कैलेंडर तो नया होगा ....पर तारीखें...... तारीखें तो वही पुरानी रहेंगी ... उन्हें कोई नहीं बदल सकता .... और ना ही बदली जा सकती हैं आदतें चाहे लाख "Resolutions" ले लो ..... तो लीजिये आदतन एक और नादान सी कोशिश ...
इस बार एक ही Plot पर दो मूड की दो गज़लें.....एक हमारी....एक अतिथि लेखक ...हमारे दोस्त निखिल बाबू की ....जो समीरजी के निर्देशानुसार हमारे शिकार हैं जिनसे उम्मीद है की जल्दी ही वो भी ब्लॉग जगत में पदार्पण करेंगे ... जब तक वो अपना मन मजबूत करते हैं तब तक उनके भावी ब्लॉगका एक Trailor हो जाये :

साल नया पर हाल पुराना
हम वही, हालात वही
साल नया पर हाल पुराना !!
लैला नयी और मजनू वही
शिकार नया पर जाल पुराना !!
नागनाथ नहीं सांपनाथ सही
पंजा नया पर गाल पुराना !!
सदीक वही, रकीब वही
छेद नया पर थाल पुराना !!
अहसास वही ग़ज़ल नयी
पैकेट नया पर माल पुराना !!

अतिथि लेखक : निखिल बाबू
हम वही, हालात वही
साल नया पर हाल पुराना !!

मुद्दे नए, दंगे नए,

खून का रंग पर लाल पुराना
दिल वही, तीर नया
खोने का उसे पर मलाल पुराना,
चार दिन के resolutions नए,
ढर्रा वही फिर बहाल पुराना,
रात नयी, साथ नया,
कपड़ों पर वही बाल पुराना,
महेंगाई बढ़ी, खर्चे बढे,
बटुआ अपना कंगाल पुराना,
साल नया, हम वही
शाम नयी पर धमाल पुराना!!