शोभित जैन
जब इंतज़ार बेसबर होता है ,
प्यार और भी मुखर होता है ||

शोभित जैन
जब इंतज़ार ही सफ़र होता है ,
हौले-हौले दिल पत्थर होता है ||
शोभित जैन
जिसे खोजने में ज़माने लगे ,
उसके ख्वाब अब डराने लगे १

वैसे मिलना तो अब मुनासिब नहीं रहा,
पर वो खवाबों में आने-जाने लगे २

आरजू, इजहार, उम्मीद औ मोहब्बत,
खुद, कहीं गहरे दफ़नाने लगे ३

तराशा था हर नगीना, एहतियात से ,
आज खाली सब खज़ाने लगे ४

दर्द आखों से होकर, कागज़ पर बिखर गया,
वो बेफिक्र होकर गुनगुनाने लगे ५