जब इंतज़ार बेसबर होता है ,
प्यार और भी मुखर होता है ||
जब इंतज़ार ही सफ़र होता है ,
हौले-हौले दिल पत्थर होता है ||
जिसे खोजने में ज़माने लगे ,उसके ख्वाब अब डराने लगे १वैसे मिलना तो अब मुनासिब नहीं रहा,पर वो खवाबों में आने-जाने लगे २आरजू, इजहार, उम्मीद औ मोहब्बत,खुद, कहीं गहरे दफ़नाने लगे ३तराशा था हर नगीना, एहतियात से ,आज खाली सब खज़ाने लगे ४दर्द आखों से होकर, कागज़ पर बिखर गया,वो बेफिक्र होकर गुनगुनाने लगे ५