शोभित जैन
अपने दिल की धड़कन को परखने भी नहीं देते,
धड़का देते हैं दिल, और फिर धडकने भी नहीं देते !!
शोभित जैन
उम्मीदों के बादल को वो कुछ यूँ हटा देते हैं  । 
लिखते हैं, और लिखते लिखते मिटा देते हैं ॥