कुछ समय पहले लिखी हुई ये नज़्म मुझे आज भी उतनी ही ताज़ा लगती है जितनी ये पहली बार पढने में लगी थी....आशा है आप लोगो को भी पसंद आएगी !!
काफिर नही होता...
जिस चेहरे को हया का रंग हासिल नहीं होता,
वो नाम हुस्न वालो में शामिल नहीं होता !!१!!
हुस्न की चाहत ही खुदा की इबादत है,
मानते गर तुम, तो मैं काफिर नही होता !!२!!
मुहब्बत पाने दिल में हिम्मत चाहिए हुज़ूर,
तोहफे की शक्ल में इश्क हाज़िर नही होता !!३!!
खताएं तो होंगी , गर आशिकी ताज़ा है॥
क्योंकि जो सच्चा होता है, वो माहिर नहीं होता !!४!!
पन्ने तो कई रंगे स्याही से, पर
जिसपर लिखा उसी पर जाहिर नही होता !!५!!
(दोस्तों, आज सभी ब्लॉगर बंधुओं से माफ़ी मांगने का दिल कर रहा है, क्यूंकि पिछले कुछ समय से अतिव्यस्तता के चलते किसी भी रचना पर अपनी टिपण्णी नहीं दे पाया हूँ.. बहुत से रचनाकारों के तराशे हुए नायाब मोतियों को अपनी "google reader list " के जरिये पढ़ तो रहा हूँ पर उसके आनंद को व्यक्त नही कर पा रहा हूँ.......)
क्षमाप्रार्थी:-
शोभित जैन
काफिर नही होता...
जिस चेहरे को हया का रंग हासिल नहीं होता,
वो नाम हुस्न वालो में शामिल नहीं होता !!१!!
हुस्न की चाहत ही खुदा की इबादत है,
मानते गर तुम, तो मैं काफिर नही होता !!२!!
मुहब्बत पाने दिल में हिम्मत चाहिए हुज़ूर,
तोहफे की शक्ल में इश्क हाज़िर नही होता !!३!!
खताएं तो होंगी , गर आशिकी ताज़ा है॥
क्योंकि जो सच्चा होता है, वो माहिर नहीं होता !!४!!
पन्ने तो कई रंगे स्याही से, पर
जिसपर लिखा उसी पर जाहिर नही होता !!५!!
(दोस्तों, आज सभी ब्लॉगर बंधुओं से माफ़ी मांगने का दिल कर रहा है, क्यूंकि पिछले कुछ समय से अतिव्यस्तता के चलते किसी भी रचना पर अपनी टिपण्णी नहीं दे पाया हूँ.. बहुत से रचनाकारों के तराशे हुए नायाब मोतियों को अपनी "google reader list " के जरिये पढ़ तो रहा हूँ पर उसके आनंद को व्यक्त नही कर पा रहा हूँ.......)
क्षमाप्रार्थी:-
शोभित जैन
शोभित जी,बहुत ही उम्दा नज़्म है।बधाई स्वीकाएं।
जिस चेहरे को हया का रंग हासिल नहीं होता,
वो नाम हुस्न वालो में शामिल नहीं होता !!
हुस्न की चाहत ही खुदा की इबादत है,
मानते गर तुम, तो मैं काफिर नही होता !!
उम्दा नज़्म है।बधाई
आप बहुत अच्छा लिखते हैं. टिप्पणी न कर पाने का अपराधबोध दिल में न लायें. अक्सर व्यस्ततायें रोकती हैं. नियमित लेखन जारी रखें. शुभकामनाऐं.
प्रयास करिए और भी निखार आयेगा, बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
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गुलाबी कोंपलें
सरकारी नौकरियाँ
हुस्न की चाहत ही खुदा की इबादत है,
मानते गर तुम, तो मैं काफिर नही होता
शोभित जी
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल है, सारे के सारे शेर लावावाब हैं,
इसमें बहुत दम है और अंदाज़ भी उतना ही खूबसूरत है, दिल के करीब तो होनी ही है
बेहतरीन नज़्म है!
बहुत बढ़िया!!!
जिस चेहरे को हया का रंग हासिल नहीं होता,
वो नाम हुस्न वालो में शामिल नहीं होता !!१!!
kya likha hai janab...
हुस्न की चाहत ही खुदा की इबादत है,
मानते गर तुम, तो मैं काफिर नही होता !!२!!
wah kya abhivyakti hai....
kahan se le aaye ye vichaar?
dil se keh raha hoon dil ko choo gayi waise to poori nazm par espically ye line...
मुहब्बत पाने दिल में हिम्मत चाहिए हुज़ूर,
तोहफे की शक्ल में इश्क हाज़िर नही होता !!३!!
(no pain no gain) :)
खताएं तो होंगी , गर आशिकी ताज़ा है॥
क्योंकि जो सच्चा होता है, वो माहिर नहीं होता !!४!!
(again one of the best line)
पन्ने तो कई रंगे स्याही से, पर
जिसपर लिखा उसी पर जाहिर नही होता !!५!!
dost aajkal ghazal likhna seekh raha hoon isliye ek choti si galti ko udrith karna chaunga...
umeed hai bura nahi mannenge:
first two lines has 'L' in kafiya
rest of the lines consists of 'R'....
however it hardly matters... when it comes to 'expressing yourself'(airtel!!)