२० जुलाई : ये तारीख आते ही BOSS लोगों को एक ही चीज याद आती है "आम" रसीले आम .... BOSS बोले तो "Boys Of Sainik School"... और इन BOSS लोगों में कई लोग ऐसे हैं जो दुनिया के किसी भी कोने में हों आज के दिन "Mango Party" ज़रूर Enjoy करते हैं क्यूंकि आज है हमारे स्कूल का स्थापना दिवस ...
आप लोगों ने मेरा स्कूल तो देखा होगा न... नहीं ... चलिए कोई बात नहीं इस पेज के साइड में नज़र डाल लीजिये....Slide show का नाम है "घर ही तो था"...यही वो जगह है यहाँ ज़िन्दगी के सबसे सुहाने सात साल बिताये हैं ....इसी जगह ने इन पैरों को दुनिया के उबड़-खाबड़ रास्तों पर चलना सिखाया .. सैनिक छावनियों, युद्धपोतों, पनदुब्बियों से लेकर "२६ जनवरी" पर राजपथ तक का सफ़र सिर्फ और सिर्फ इसी की देन है .... कभी कभी सोचता हूँ तो लगता है कि मेरी सोच, सपने, अहसास, विचार सब यहीं की उपज है और आज भी उसी शिद्दत से इससे जुड़े हुए हैं ... लगता है कि सैनिक स्कूल से तो मैं आठ साल पहले निकल आया पर शायद मेरे अन्दर से सैनिक स्कूल अभी तक नहीं निकला है ....
हो सकता है मेरी ये नज़्म पढ़कर आपको भी मेरी बातों पर विश्वास हो जाये ...
अधूरी ख्वाहिश
जाम , शाम , निगाहें, अदाएं, माना सब आगोश में..
दिल में क्यूँ भला फिर , एक तन्हाई सी पलती है
दौलत, शोहरत, इज्ज़त, मुकद्दर से सब हासिल हुई,
कंधों पर सितारों की कमी लेकिन फिर भी खलती है
गीत, ग़ज़ल, छन्द, नज़्म, छोड़ चला मैं जाऊंगा ,
तिरंगा ओढ़ जाने की हसरत दिल में सदा मचलती है
किसी को ज़मीं, आसमां किसी को, बंटवारा शायद हो चुका,
सब कुछ पा लेने की ख्वाहिश, शायद मेरी गलती है
दिल बहलाने को 'शोभित' ख़्याल हमने भी पाल लिया ,
ये दुनिया का दस्तूर है प्यारे , दुनिया यूँ ही चलती है
चलिए चलते चलते इस Vedio पर भी नज़र-ऐ-इनायत करते जाईये , जो हमारे कुछ छोटे भाईयों ने कुछ सुहाने पलों को कैद करके बनाया है ....
कहाँ हो भाई......... इतने दिनों बाद कुछ padhne को मिला...... आप ठीक thaak हैं न ............... raseele aamon की याद करा दी आपने
गीत, ग़ज़ल, छन्द, नज़्म, छोड़ चला मैं जाऊंगा ,
तिरंगा ओढ़ जाने की हसरत दिल में सदा मचलती है
--क्या बात है!! सलाम है मित्र आपके जज्बे को. बहुत कम दिख रहे हो आजकल!
अनेक शुभकामनाऐं.
बहुत ख़ूब!
kya baat hai yaar.. purani yaado mein le gaye
प्रिय शोभित | स्कूल कालेज छोडे चाहे कितने ही बरस हो जाएँ उनकी यादें तो ताज़ा रहती है |आपके ग़ज़ल का शेर की सब कुछ पा लेने की ख्वाहिश गलती थी |हर किसी की होती है सब कुछ पा लेने की इच्छा मगर ""कभी किसी को मकम्म्ल जहाँ नहीं मिलता वाली गजल तो आप सुनते ही होंगे |दुनिया यूं ही चलती है और दस्तूर निभाने की बात बेहद अच्छी लगी
दोस्त ये वो सुनहरी यादें होती हैं जो ता-उम्र हमारे जहन में रहती हैं !
इन्हे सहेजकर रखो !
रचना के भावों ने दिल को गहराई से स्पर्श किया !
शुभ कामनाएँ !
आज की आवाज
बहुत बढिया!!
Shobhit bhai...
itne dino tak apne priya dost se door rehne ke karan kshama prarti hoon.
Koi karan nahi bata paaonga...
...koi karan hai bhi nahi !!
Galtiyaan manav swabahv hai.
Asha karta hoon kshama kareinge.
Egypt-Gift of nile main 'typo' mistake sahi kare levein....
;)
bhai teri ye poem is bet till date. stars and national flag is still most tempted dream of ours.
dear shobhit !
achchhe vichaar hai !
jogeshwar garg.
अरे....!
आप तो बहुत प्रतिभाशाली साहित्यकार हो।
नियमित लिखा करो।
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!