क्रिसमस और नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ २००९ की आखिरी पेशकश :
जिम्मेदारी का पाउडर डाल, ज़माने की मशीन में घुमाया भी,
चितवन की धुप, गेसुओं की हवा में सुखाया भी,
'अधूरेपन' के जिद्दी दाग से पीछा छुड़ा नहीं पाया,
ज़िन्दगी, तेरा रंग कुछ उड़ा-उड़ा लगता है !!!
ग़ज़लों-शेरों की आंच पर तपाया भी,
विदेशी मसालों का तड़का लगाया भी,
"सुकूँ" को नमक बनाके पर मिला नहीं पाया,
ज़िन्दगी, तेरा स्वाद कुछ फीका फीका लगता है !!!
ममता की माटी के नीचे दबाया भी,
यार-दोस्ती का खाद-पानी पिलाया भी,
"नूर-ए-मुहब्बत" पर मैं दिखा नहीं पाया,
ज़िन्दगी, तेरा पौधा कुछ सूखा सूखा लगता है !!!
जिम्मेदारी का पाउडर डाल, ज़माने की मशीन में घुमाया भी,
चितवन की धुप, गेसुओं की हवा में सुखाया भी,
'अधूरेपन' के जिद्दी दाग से पीछा छुड़ा नहीं पाया,
ज़िन्दगी, तेरा रंग कुछ उड़ा-उड़ा लगता है !!!
ग़ज़लों-शेरों की आंच पर तपाया भी,
विदेशी मसालों का तड़का लगाया भी,
"सुकूँ" को नमक बनाके पर मिला नहीं पाया,
ज़िन्दगी, तेरा स्वाद कुछ फीका फीका लगता है !!!
ममता की माटी के नीचे दबाया भी,
यार-दोस्ती का खाद-पानी पिलाया भी,
"नूर-ए-मुहब्बत" पर मैं दिखा नहीं पाया,
ज़िन्दगी, तेरा पौधा कुछ सूखा सूखा लगता है !!!
बेहतरीन!!
क्रिसमस एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ.
सादर
समीर लाल
दुवा करो के ये पूधा हरा हरा रहे ........
शोभित जी .......... लाजवाब रचना ....... मुबारक तो आपको भी क्रिसमस और नया साल .......