जहाँ ठहरें कुछ देर , कोई डेरा नहीं दिखता
दूर दूर तक हमें सरपे सेहरा नहीं दिखता..
अभी हम सउदी में है, बस बुर्के ही दिखते हैं
लाख कोशिश की मगर कोई चेहरा नहीं दिखता ...
दूर दूर तक हमें सरपे सेहरा नहीं दिखता..
अभी हम सउदी में है, बस बुर्के ही दिखते हैं
लाख कोशिश की मगर कोई चेहरा नहीं दिखता ...
बहुत खूब...भारत घूम आओ कुछ दिन!! :)
waah kya baat kahi
वाह वाह ... आपने तो इंटरनेशनल ग़ज़ल कह दी शोभित जी ....
शोभित भैया !
बुर्के में छुपा चेहरा देखने की कोशिश भी मत करना.
सुना है सउदी की पुलिस बहुत मारती है. और हाँ वो सौ रुपये ले कर छोड़ती भी नहीं है.
बाकी तुम्हारी मर्जी ! मुसाफिर अपनी जोखिम पर सफ़र करे !
all the best !