शोभित जैन
महकता बगीचा ...मिटटी के घर के पिछवाड़े में...
खुश्बू फैलती है ...बड़े से बरामदे के हर कोने तक
और घर के बाहर
भी..

गुलाब ,जूही , लिली.. हर किस्म का फूल
रखता है इसे खुश्बूनुमा , दिन भर

अफ़सोस ....
सिर्फ दिन भर ...

रात को महकने के लिए ..
इसे आज भी '
रातरानी' का इंतज़ार है ...
.......................................इसको भी !!
3 Responses

  1. सच कहा है शोभित जी ... रात रानी ही बस अकेली रात की संगिनी है .....


  2. shabda vyanjanaa ati sundar..............


एक टिप्पणी भेजें