शोभित जैन
एक जाये दूजा आ जाये

हैं जी के जंजाल बहुत ॥

मैं कैसे तुझसे प्यार करूँ ??


पेट्रोल संग प्याज रुलाये ,

महंगी हो गयी दाल बहुत ॥

मैं कैसे तुझसे प्यार करूँ ??


चैन के दो पल मयस्सर नहीं

सर पे सवार हैं काल बहुत ॥

मैं कैसे तुझसे प्यार करूँ ??



ऐसा नहीं वैसा होता ,

दिल में हैं सवाल बहुत ॥

मैं कैसे तुझसे प्यार करूँ ??
1 Response
  1. सच कहा आपने इतनी दुश्वारियों के बीच कैसे प्यार करें....बहुत अच्छी रचना...

    नीरज


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