ना तो कोई नटखट चितवन, ना कोई हमजोली है ,
तुम उड़ालो रंग अबीरा , मैं कैसे कह दूँ होली है ?
बदरंग है अबकी ये होली, भंग तलक नहीं घोली है,
तुम उड़ालो रंग अबीरा , मैं कैसे कह दूँ होली है ?
'अनछुए रुखसार' , दोस्त-रिश्तेदार, कहाँ गई वो टोली है,
तुम उड़ालो रंग अबीरा , मैं कैसे कह दूँ होली है ?
सुबह नहाकर दफ्तर आ गया, आकर एक फाइल खोली है ,
तुम उड़ालो रंग अबीरा , मैं कैसे कह दूँ होली है ?
सुन के खुश है 'अगली बार जरुर', माँ कितनी भोली है ,
तुम उड़ालो रंग अबीरा , मैं कैसे कह दूँ होली है ?
तुम उड़ालो रंग अबीरा , मैं कैसे कह दूँ होली है ?
बदरंग है अबकी ये होली, भंग तलक नहीं घोली है,
तुम उड़ालो रंग अबीरा , मैं कैसे कह दूँ होली है ?
'अनछुए रुखसार' , दोस्त-रिश्तेदार, कहाँ गई वो टोली है,
तुम उड़ालो रंग अबीरा , मैं कैसे कह दूँ होली है ?
सुबह नहाकर दफ्तर आ गया, आकर एक फाइल खोली है ,
तुम उड़ालो रंग अबीरा , मैं कैसे कह दूँ होली है ?
सुन के खुश है 'अगली बार जरुर', माँ कितनी भोली है ,
तुम उड़ालो रंग अबीरा , मैं कैसे कह दूँ होली है ?
वाह बढ़िया रचना के साथ आपको होली की हार्दिक शुभकामनाएं
होली की शुभकामनाऐं
शोभित जी
रचना बहूत अच्छी है,पर रंगों के त्यौहार में उदासी ठीक नहीं.........
नाचो गाओ, आज होली है.........
आपको होली मुबारक
yaar mujhe to keh gaye ki sharab pina buar nahi parantu use rokna bura hai, aur yaha kya ghazal mein bhi roni surat
(waise on a serious note ghazal vakai acchi hai bahut acchi).
Kam se kam ek din baad post kar lete yaar, aaj to naacho gao holi manao waise aaj main bhi office main hoon, lekin:
abhi to ye bas teri chunriya, aage puri choli hai...
tum uda lo rang abeera,main kaise......
waise mera man last line ko change karke...
abhi to ye bas teri chunriya, aage puri choli hai...
jab tak priye tumhei na rang doon,kaise......
karne ka tha... par fir wo rule nahi izazat deta...
aur aaj ka advertisement:
surf excel.....
holi ke baad...
सुन के खुश है 'अगली बार जरुर', माँ कितनी भोली है ,
तुम उड़ालो रंग अबीरा , मैं कैसे कह दूँ होली है ?
yaar good tought process...
...great....
bas aansu nahi aaye yahui shukr hai...
घर से दूर विदेश में होली की याद और उसे ना मना पाने की छटपटाहट बहुत खूबी से नजर आती है आप की रचना में...
लिखते रहिये...पीडा कम करने का अचूक नुस्खा है.
नीरज
aapki kavita se aapka dard samjh aa raha hai.
ghar se door tyohar naa mana paane ki peeda ko bahut achche se kavita k roop me dala hai aapne..
holi ki hardik shubhkamnaaye..
ना तो कोई नटखट चितवन, ना कोई हमजोली है ,
तुम उड़ालो रंग अबीरा , मैं कैसे कह दूँ होली है ?
waah ji waah ...pr ye udasi kyon....??
pyaar itna na karo taaki bigaD jaayein ham
thoda daantaa bhi karo, kuchh to sanwar jaayein ham
-Dhanyavaad shobhit ji
hi, nice to go through your blog...nice poem..by the way which typing tool are you using for typing Hindi...?
Recently, I was searching for the user friendly Indian language typing tool and found... "quillpad"...do you use the same..?
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jai..... ho....
भाई सब कह रहे है तो कहदो -होली है -