अश्कों के हर कतरों को पलकों में छिपाते हैं ,
हम वो शख्स हैं जो मायूसी में मुस्काते हैं !!
कोई लाख सितम ढाए तो फर्क नहीं पड़ता ,
हम तो रौशनी का त्यौहार भी अमावस्या को मानते हैं !!!
हम वो शख्स हैं जो मायूसी में मुस्काते हैं !!
कोई लाख सितम ढाए तो फर्क नहीं पड़ता ,
हम तो रौशनी का त्यौहार भी अमावस्या को मानते हैं !!!
वाह, बहुत खूब...लाजाब, अच्छे शे‘र हैं।...दीपावली की शुभकामनाएं