शोभित जैन
काफी दिन हो गए कुछ लिखे हुए, और इन दिनों में काफी कुछ हो भी गया .... जैसे दुबई ( UAE) से तबादला हो गया .. पिरामिडों और nile नदी के देश EGYPT में .. ... एक hindustaan का trip हो गया ..... कुछ दिन अपना शहर इंदौर भी घूम लिया और बहुत सी यादें भी समेट लाये ..... सब कुछ एक ही पोस्ट में लिखना तो मुमकिन नहीं है, इसलिए आज सिर्फ़ इस यात्रा की सबसे खूबसूरत यादों का ज़िक्र करता हूँ .... UAE और EGYPT का ज़िक्र किसी और दिन... (हो सकता है की नए ब्लॉग में... क्यूंकि बहुत दिनों से मन है एक Travel blog बनाने का ) ... चलो मुद्दे की बात पर आते हैं ... तो इस बार इंदौर यात्रा की दो सबसे बड़ी उपलब्धियां रही एक पुरानी डायरी का मिलना और दूसरा एक नए दोस्त का मिलना ... डायरी के पन्ने तो एक एक करके आने वाली पोस्ट में खुलेंगे .... आज की पोस्ट और नज़्म उस मोहतरमा की नज़र करते हैं जिनसे पहली ही मुलाकात में दोस्ती हो गई [ सिर्फ़ दोस्ती :( ]और फिर शतरंज की बिसात पर बातों का ऐसा सिलसिला चला की शाम कब रात में बदल गई, और रात कब सुबह के आगोश में चली गई पता ही नहीं चला ... सुबह जब सूरज की पहली किरण ने झकझोरा तब बातों का सिलसिला टूटा ...... इसलिए इस बार इंदौर से चेन्नई की वापसी यात्रा कठिन भी रही और खुशगवार भी .... चलिए आप लोग भी हमारे साथ यात्रा कीजिये बातें तो होती रहेंगी.....

दाल आधी गल गयी .....

चेहरे पर तन्हाई का आलम अब किस्सा पुराना है,
एक मासूम मुस्कान से इसकी रंगत बदल गई ॥

उससे ही सुकून मिला और कुछ बेकरारी भी,
एक खवाहिश पूरी हुई, एक हसरत मचल गई ॥

मुकम्मल हुआ भरोसा कुछ और मुकद्दर पर
जब देर से ही सही दाल आधी गल गई ॥

जोश था, जूनून था और शायद ज़रुरत भी,
सब कुछ था, बस समय की कमी खल गयी ॥


शह बिना मात मिली पर बाज़ी अधूरी रही,
कमबख्त रात बेसब्र थी, बहुत जल्दी ढल गई ॥
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