शोभित जैन
जहाँ ठहरें कुछ देर , कोई डेरा नहीं दिखता
दूर दूर तक हमें सरपे सेहरा नहीं दिखता..
अभी हम सउदी में है, बस बुर्के ही दिखते हैं
लाख कोशिश की मगर कोई चेहरा नहीं दिखता ...