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द&#
शोभित जैन
तारीखों के बदलने का क्या जश्न मनाएं,
कभी हालात बदलेंगे को सोचा जायेगा !!


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द&#
शोभित जैन
खुशियों की उम्मीद तो पहले ही दफ़न हो गयी,
अब तो ये दर्द है कि कोई दर्द नहीं होता !!
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द&#
शोभित जैन
तमन्ना--ख़ुशी है मगर तन्हाई बहुत है ,
हम-कदम बनना चाहते हो मगर खाई बहुत है !!
ख़ुशी के एक पल से भी अब डर सा लगता है,
जानता जो हूँ, कि कीमत दुखदायी बहुत है !!