
जब हम उदास या अकेले होते हैं तो यादों की टॉर्च लेकर बचपन के गलियारों में खो जाने को दिल करता है एक बार उनही गलियारों में भटकते-भटकते और जगजीत सिंह जी की ग़ज़ल "वो कागज़ की कश्ती " गुनगुनाते हुए स्वतः ही हाथ चल पड़े और तुकबंदी हो गई
अगर मेरी यह छोटी सी कोशिश आपके दिल में भी कोई भूली बिसरी याद और होंठों पर मुस्कान बिखेर दे तो भले ही टिपण्णी न देना पर कुछ फुर्सत के पल उन यादों को ज़रूर देना
बकवास बंद, ग़ज़ल शुरू :-
ये प्रोफाइल भी ले लो , ये पैकेज भी ले लो
भले छीन लो मुझसे मेरी कंपनी॥
मगर मुझको लौटा दो, खाकी वो वर्दी,
वो स्कूल की मस्ती, वो यादें सुहानी 1
वो स्कूल की सबसे पुरानी निशानी
वो टंकी जहाँ से बच्चे लाते थे पानी,
वो पानी के संग में बाथरूम को जाना
बिना नहाये फिर बाहर को आना,
भुलाये नहीं भूल सकता है कोई ,
वो विनोद तिवारी, वो अश्विन गिलानी
वो स्कूल की मस्ती, वो यादें सुहानी 2
वो पीटी परेड से बच कर निकलना,
BMW के समोसे पर दिल का मचलना
वो ड्रिल के पहले से एडी पटकना,
वो ग्रेस के पहले ही केक झपटना
वो PREP के टाइम की प्यारी सी नींदें,
वो गालों पर सीनियर के गुस्से की निशानी
वो स्कूल की मस्ती, वो यादें सुहानी
कड़ी धुप में वो आउटिंग निकलना,
वो झंकार, वो आकृति पीटी वीटी भटकना
वो ICH में जाकर डोसा उडाना ,
वो कॉमिक वाले पर उधारी चढाना
वो बनारसी की चाट में चटनी का होना,
वो चोरी की रोटी, चार दिन पुरानी
वो स्कूल की मस्ती, वो यादें सुहानी
ये प्रोफाइल भी ले लो , ये पैकेज भी ले लो
भले छीन लो मुझसे मेरी कंपनी॥
मगर मुझको लौटा दो, खाकी वो वर्दी,
वो स्कूल की मस्ती, सात साल की कहानी
भले छीन लो मुझसे मेरी कंपनी॥
मगर मुझको लौटा दो, खाकी वो वर्दी,
वो स्कूल की मस्ती, वो यादें सुहानी 1
वो स्कूल की सबसे पुरानी निशानी
वो टंकी जहाँ से बच्चे लाते थे पानी,
वो पानी के संग में बाथरूम को जाना
बिना नहाये फिर बाहर को आना,
भुलाये नहीं भूल सकता है कोई ,
वो विनोद तिवारी, वो अश्विन गिलानी
वो स्कूल की मस्ती, वो यादें सुहानी 2
वो पीटी परेड से बच कर निकलना,
BMW के समोसे पर दिल का मचलना
वो ड्रिल के पहले से एडी पटकना,
वो ग्रेस के पहले ही केक झपटना
वो PREP के टाइम की प्यारी सी नींदें,
वो गालों पर सीनियर के गुस्से की निशानी
वो स्कूल की मस्ती, वो यादें सुहानी
कड़ी धुप में वो आउटिंग निकलना,
वो झंकार, वो आकृति पीटी वीटी भटकना
वो ICH में जाकर डोसा उडाना ,
वो कॉमिक वाले पर उधारी चढाना
वो बनारसी की चाट में चटनी का होना,
वो चोरी की रोटी, चार दिन पुरानी
वो स्कूल की मस्ती, वो यादें सुहानी
ये प्रोफाइल भी ले लो , ये पैकेज भी ले लो
भले छीन लो मुझसे मेरी कंपनी॥
मगर मुझको लौटा दो, खाकी वो वर्दी,
वो स्कूल की मस्ती, सात साल की कहानी
आपका :- २६३५
bahut sundar likhaa hai.
वो स्कूल की सबसे पुरानी निशानी
वो टंकी जहाँ से बच्चे लाते थे पानी,
वो पानी के संग में बाथरूम को जाना
बिना नहाये फिर बाहर को आना,
भुलाये नहीं भूल सकता है कोई ,
वो विनोद तिवारी, वो अश्विन गिलानी
बहुत सुंदर लिखा है... बधाई।
yaad dila diya yaar tune :)
main phir se purani diary khol diya aaj bahut din baad
सादर ब्लॉगस्ते,
आपका यह संदेश अच्छा लगा। क्या आप भी मानते हैं कि पप्पू वास्तव में पास हो जगाया है। 'सुमित के तडके (गद्य)' पर पधारें और 'एक पत्र पप्पू के नाम' को पढ़कर अपने विचार प्रकट करें।
are bhai aaj aaya kahan se comment marte hai.
abe aaj pata chala kahan se comment marte hai....
hehe :D
Mitra shobhit, itni achchi dil ko chu jane wali kavita ke liye maine pehle taareef ke shabd kkyun nahi likhe iska mujhe behad afsos hai..bt i m really glad ki u are really becoming finer and finer with ur writing skills...good show and keep going
no comment ....
u know why ur poem resembles with mine?
let me tell it to you....
i think that we have almost same kind of past. I've never said anybody to read my blog or go to my blog but i'll say it to you ....
check out this link dude(if not the entire blog) may be u could also relate:
http://darpansah.blogspot.com/search/label/%E0%A4%B9%E0%A5%89%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%B2
Sir Ji ,
main to kaha raha hu.. leave all this jobs n just become a POET/WRITER, U will become a great writer in Hindi Literature ...
Wish you all the best .. Hope to read something more from your side.....
Har din evening prep mei jana
Padhai bahana, pr neend aa jana
Wo masoom ladaiyo ki taseer apni
Green board ki wo jageer apni
Na exam ka dar tha, na result ka chintan
Badi khoobsurat thi wo zindgani